सभ्यता हमारी भौतिक जरूरत है तो संस्कृति आध्यात्मिक| संस्कृति में शिक्षा, साहित्य, कलाएँ आदि सभी शामिल हैं| कला का काम मात्र मनोरंजन करना नहीं, कलाओं का मूल उद्देश्य मन को स्वस्थ दिशा में मोड़ना या उसका परिष्कार करना होता है| कलाएँ ही सत्यं, शिवं, सुंदरम् के संपर्क में लाकर मानव-मन को संस्कारित करती हैं और मानव की आध्यात्मिक भूख को तृप्त करती हैं| परंतु आज की बाजार-व्यवस्था प्रधान संस्कृति ने कलाओं को धन अर्जित करनेवाला उद्योग बना दिया है| नारी और कला एक-दूसरे की पर्यायवाची हैं| स्पष्ट कहें तो नारी सृष्टि की सबसे खूबसूरत कलाकृति है| अत: ललित व रूपंकर कलाओं से उसका निकट संबंध होना स्वाभाविक है| आदि पाषाण युग से लकर आज तक इतिहास का कोई कालखंड ऐसा नहीं है, जब नारी ने अपनी कलाप्रियता एवं सृजन-कौशल का परिचय न दिया हो| चित्रकारी, गायन, वादन तथा नृत्य जैसे गुण उसमें स्वभावत: पाए जाते हैं| प्रस्तुत पुस्तक का उद्देश्य आधुनिक काल की प्रमुख नारी-साधिकाओं से नई पीढ़ी का परिचय कराना तथा कलाओं के प्रति रुचि जाग्रत् करने के साथ-साथ उसमें सीखने की ललक पैदा करना है| आशा है, सुधी पाठक-पाठिकाएँ एवं कलाप्रेमी जन अपने-अपने समय की श्रेष्ठ कला-साधिकाओं के जीवन से प्रेरणा प्राप्त कर अपनी कला-साधना को समर्पित होकर उनमें और भी निखार लाएँगे|
Nari Kalakar (नारी कलाकार)
Author: Asha Rani Vohra (आशारानी व्होरा)
Price:
₹
300.00
Condition: New
Isbn: 9788190734110
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,Women Oriented,Film And Performing Art,
Publishing Date / Year: 2016
No of Pages: 216
Weight: 320 Gram
Total Price: ₹ 300.00
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