₹400.00
MRPGenre
Print Length
223 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2014
ISBN
818826668X, 9789383111855
Weight
380 Gram
देश की आजादी तथा दु:खी मानवता के उद्धार के लिए गांधीजी जीवन भर संघर्षरत रहे| उनकी यात्रा पोरबंदर से आरंभ होकर राजकोट, इंग्लैंड, डरबन, जोहांसबर्ग, अहमदाबाद और कलकत्ता आदि से गुजरती हुई दिल्ली में समाप्त हुई| वे अंत समय तक देश-निर्माण, सांप्रदायिक सौहार्द, एकता-अखंडता के लिए कार्य करते रहे|
अहिंसा गांधीजी का अचूक अस्त्र था, जो एटम बम से भी ज्यादा ताकतवर था| अंग्रेज सरकार उनके सत्याग्रह और अहिंसा से बहुत खौफ खाती थी| उन्होंने खादी को घर-घर पहुँचाया और स्वदेशी को प्रोत्साहन दिया| स्वयं अछूतें के साथ रहकर उनके दु:ख-दर्द को महसूस किया और उन्हें बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष किया| उन्हें अनेक बार जेल-यात्रा करनी पड़ी|
सत्याग्रह की ताकत ने गांधीजी को महात्मा बनाया और इसके बल पर उन्होंने आजादी के समर में प्रत्येक देशवासी को एक सिपाही के रूप में बदल दिया| सत्यवादिता ने उनमें आत्मिक शक्ति भर दी थी कि उनके एक आह्वान पर लाखों लोग सिर कटाने को तैयार हो जाते थे|
गांधीजी के बारे में जितना लिखा-पढ़ा जाए, कम है| कृतज्ञ राष्ट्र ने अपने प्यारे बापू को 'राष्ट्रपिता' के सम्मान से विभूषित किया|
एक युगपुरुष और महान् व्यक्ति के अंतहीन कार्यों की ब्योरेवार जानकारी देती एक प्रेरणादायी पुस्तक|
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