₹350.00
MRPGenre
Novels And Short Stories, Science And Technology
Print Length
147 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
8188139769, 9789382901945
Weight
300 Gram
बाल्यकाल में ही बधिरता जैसे अभिशाप को एकाग्रता जैसे अद्भुत गुण में परिवर्तित करनेवाले थॉमस अल्वा एडिसन ने जीवन के अंतिम प्रहर तक थकना नहीं सीखा| औपचारिक शिक्षा से वंचित होने पर भी साहित्य से लेकर विज्ञान तक का गहन अध्ययन करनेवाले इस वैज्ञानिक ने अपने कार्यकाल में औसतन हर पंद्रह दिन में एक पेटेंट हासिल किया; उनके जरिए दुनिया आधुनिक काल में प्रवेश कर गई और उपभोक्तावाद का प्रादुर्भाव हुआ| नियति ने उसे पल-पल पर खोने के लिए मजबूर किया| तमाम उद्योगों में घाटा हुआ, अनेक आविष्कार असफल हुए, प्रयोगशाला जल गई, मित्रों और सहयोगियों ने भी धोखा दिया, संतानों में अविश्वास उपजा; किंतु एडिसन आयु के हर पड़ाव पर दुनिया को देता ही रहा| बिजली, ग्रामोफोन, सिनेमा, रबर जैसे सैकड़ों अद्भुत आविष्कारों का जनक न युद्धकाल में चैन से बैठा और न ही शांतिकाल में| उसने पत्रकारिता भी की और समाज-सेवा भी| उसे मानव से प्यार था और पक्षियों से भी| वह नेत्रहीनों की सहायता भी करता रहा और फिल्मों के जरिए नवोदित कलाकारों की भी| अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर आम आदमी तक उसका मुरीद बन चुका था| आज भी एडिसन अनुसंधानकर्ताओं के लिए आइंस्टाइन की तरह रोचक विषय है| एक श्रेष्ठ जीवन की श्रेष्ठ गाथा है यह पुस्तक|
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