₹250.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
128 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
9789380839424
Weight
265 Gram
पूत के पैर पालने में ही दीख जाते हैं, किंतु उन पैरों को देखने की क्षमता सभी में नहीं होती| बहुधा पैरों को बड़प्पन मिलने पर ही पालने की खोज होती है और फिर पालने के छोटे पैर भी बड़े हो जाते हैं; किंतु भारतीय इतिहास में उन सपूतों की भी कमी नहीं, जो पालने में ही अपने बड़प्पन को प्रकट करके राष्ट्र-जीवन पर स्थायी छाप लगा गए|
हँसते शैशव से राष्ट्र की आराधना करनेवालों का यह चरित्र-चित्रण है| बड़ों के बचपन की अपेक्षा बचपन का बड़प्पन अधिक महत्त्व का है, क्योंकि वह समाज के उच्च स्तर एवं अंतर्भूत शक्ति का द्योतक है| खेलने और खाने की उम्र में त्याग और बलिदान, वीरता और धीरता, सेवा एवं तपस्या के इतने महान् उदाहरण समाज के संस्कारी जीवन में मिल सकते हैं| जिन संस्कारों ने ये बालवीर उत्पन्न किए उनकी ओर ध्यान दिया गया तो आज भी भारत के बच्चों में शतमन्यु और अभिमन्यु जन्म लेंगे|
श्री मदनगोपाल सिंहलजी की प्रस्तुत पुस्तक बाल जीवन पर प्रभावी संस्कार डालने के लिए ही लिखी गई है| इन अनमोल हीरों के जौहरी को जिस दिन आज के समाज-जीवन में से हीरे खरीदकर उनके समकक्ष बिठाने का अवसर मिलेगा, उस दिन लेखक का प्रयास सफल होगा|
-दीनदयाल उपाध्याय
0
out of 5