₹300.00
MRPGenre
Print Length
136 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
9788189573621
Weight
305 Gram
अपनी आन के पक्के महाराणा प्रताप को मेवाड़ का शेर कहा जाता है| हल्दीघाटी के युद्ध में वह मुगल सेना से हार गए और उन्हें जंगलों में अपने परिवार के साथ शरण लेनी पड़ी| वहाँ कई-कई दिन उन्होंने भूखे-प्यासे और घास-पात की रोटियाँ खाकर गुजारे|
महाराणा प्रताप का जन्म सिसोदिया राजपूतों के वंश में हुआ| उनके पिता उदय सिंह स्वयं एक प्रबल योद्धा थे| उन्होंने कभी मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके| युद्ध से बचने के लिए आस-पास के कई राजपूत राजाओं ने अपनी पुत्रियों के विवाह अकबर के साथ कर दिए, लेकिन उदय सिंह ने वैसा नहीं किया| महाराणा प्रताप ने भी अपने पिता की नीति का अनुसरण किया| मुगल बादशाह अकबर को यह बात बहुत खटकती थी| इसी का बदला लेने के लिए उसने मानसिंह और राजकुमार सलीम के नेतृत्व में सेना भेजी| हल्दीघाटी के मैदान में हुए युद्ध में महाराणा प्रताप के अंतिम सैनिक तक ने बलि दे दी| तब जाकर मुगल सेना बढ़त बना पाई| जंगल में भूख से बिलबिलाते बच्चों को महाराणा प्रताप कब तक देख पाते| आखिर उन्होंने अकबर को आत्मसमर्पण का खत लिखने का फैसला किया| लेकिन तभी देशभक्त भामा शाह मदद लेकर आ गया| आगे फिर संघर्ष जारी रखा|
साहस, शौर्य, निडरता, राष्ट्रप्रेम और त्याग की प्रतिमूर्ति भारत के वीर योद्धा महाराणा प्रताप की प्रेरणाप्रद जीवनी|
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