प्रस्तुत संग्रह की एक कहानी में जवारी अपने जीवनानुभवों को बटोरते हुए अपने हश्र से सद्बुद्घि ग्रहण करता है| जिंदा इनसान मुर्दा बनकर ठगी का धंधा करता है, जो अंततः जीवित संवेदनाओं के मृतक होने की घोषणा से कम नहीं है समय के मुश्किल हालात में, क्योंकि श्रम का मानक और साध्य-साधन का निकष ढीला पड़ता जा रहा है, त्वरित फलन की आवेगजनित आकांक्षाओं के वशीभूत| यद्यपि प्रेम के पेंच में प्रेम के महत्तम भावादर्शों की ऊँचाइयाँ निहित हैं, बावजूद प्रेम की विफलताओं ने प्रेम, प्रेम-विवाह और इससे जुड़ी सामाजिक व्यवस्थाओं को भी मृतप्राय कर दिया है| प्रेम सचमुच दसवें सुरों से आगे की यात्रा, यानी मौत का ही दूसरा नाम है, शायद छलावों और पछतावों में इसका हल अंतर्निहित हो, जो जीवन और मौत को अंतर्ग्रंथित भी करता है| ‘कीमत’, ‘शतरूपा’, ‘ठूँठ’, ‘बी-क्लासी’, ‘अंतर्ज्ञान’, ‘मुक्ति’ सभी कहानियाँ बूढ़े समय की कही कहानियों का और लगी नव्य क्लासों के नव्य पाठ की तरह हैं-बिलकुल अलग स्वाद के साथ परोसे व्यंजनों की तरह लजीज और स्वादिष्ट| कृपया पाठक बनकर अपनी चरपरा-बुद्धि से इन कहानियों को चखें, परखें; निश्चित ही इनको सुस्वादु और मनोरंजक पाएँगे|
Boorha Samay (बुरा समय)
Price:
₹
175.00
Condition: New
Isbn: 9789380823928
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,
Publishing Date / Year: 2013
No of Pages: 144
Weight: 300 Gram
Total Price: ₹ 175.00
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