विचारधारा और प्रतिबद्धता सरीखी फैशनेबल बाधा-दौड़ों पर खरा उतरने की आकांक्षा ने हिंदी कहानी को लंबे समय से असरग्रस्त रखा है| समकालीन हिंदी कहानी में इस मद में कुछ और जुमले भी तैनात हो गए हैं, जो कहानी में विन्यस्त विमर्श को कहानीपन से ज्यादा अहम और दीगर घोषित करने पर तुले रहते हैं| अरसे से कथा साहित्य में उपस्थित हरीश पाठक की कहानियों का मुख्य आकर्षण अपने समय-संदर्भों की पड़ताल है| संघर्ष, त्रास, प्रेम, आकांक्षा, उत्पीडऩ, अपराध और प्रतिशोध उनकी कहानियों में कभी समष्टिगत फलक पर अपना तांडव करते हैं तो कभी व्यक्ति-परिवार के स्तर पर| एक कहानी में तो दोनों का बेहद मार्मिक विलय ही हो जाता है| मगर कहना होगा कि अपनी कहानी कला को पैनाने के लिए हरीश व्यक्ति परिवार या कहें आम जन-जिंदगी पर ज्यादा केंद्रित रहते हैं| अपने समय-समाज के अलग-अलग और कदाचित् अनछुए पहलुओं को एक विनम्र पठनीयता से समृद्ध करती ये कहानियाँ इस अर्थ में एक-दूसरे की पूरक सी भी लगती हैं| हरीश पाठक की इन कहानियों में ग्रामीण जीवन की वंचना, विस्थापन, गरीबी तथा विकास के कारण आए संत्रास की कचोट और महानगरीय जीवन की दैनंदिनी में भस्म होते चरित्रों की ऊहापोह और मजबूरियाँ बड़ी निर्विकार प्रामाणिकता से दर्ज हुई हैं| पाठक के भीतर जरूरी टीस जगाने के बाद इनका वजूद खत्म नहीं होता है, वे जैसे पुनर्पाठ के लिए उकसाती हैं| -ओमा शर्मा
Solaha Kahaniyan (सोलह कहानियाँ)
Author: Harish Pathak (हरीश पाठक)
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₹
200.00
Condition: New
Isbn: 9789381063286
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,
Publishing Date / Year: 2012
No of Pages: 158
Weight: 325 Gram
Total Price: ₹ 200.00
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