आसुरी उन्माद से भरी इस जगती में मनुष्यता का पुलक नाद पहचानने का निरंतर अभ्यास साधना ही लेखनी का सच्चा तप होता है| कई साक्ष्य ऐसे होते हैं, जिनके कशाघात से चेतना तिलमिला उठती है| इस देश के विद्या मंदिर इन दिनों किस दुर्वह योग से ग्रसित हैं, यह सबको पता है|...धन की प्रचंड चाह, अवैधता में आकंठ डूबे तथाकथित ज्ञानियों-विज्ञानियों का निरंकुश बुद्धिवादी आचार-व्यवहार, राजनीति की धूनी लगाकर ऊँचे आसन पर बैठने वाले संवेदनाशून्य प्राणियों का ऑक्टोपस जाल और ऐसे परिवेश में जीवन गंध खोजने का उपक्रम| प्रस्तुत कहानियों में अनपेक्षित ऐश्वर्य बटोरने की कलंक-कथा का हिस्सा बननेवाली,भौतिक लिप्साओं के नागपाश में जकड़कर विषवमन करनेवाली दुःशील जीवात्माएँ चहुँ ओर फैली हैं| लेकिन इन कहानियों के शब्दों का अक्षय संसार वैष्णवी आस्था रखनेवाली उन तमाम संज्ञाओं के लिए है, जिनकी चेतना शत सहस्र सात्त्विक अनुभूतियों की सुगंध से आपूरित है,जिनके हृदय में चुने यंत्रणा के शूल ऋत् से जुड़ने की संजीवनी दें|
Mrityugandh Jeevangandh (मृत्युगंध जीवनगंध)
Author: Rita Shukla (ऋता शुक्ल)
Price:
₹
300.00
Condition: New
Isbn: 9789381063149
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,
Publishing Date / Year: 2018
No of Pages: 168
Weight: 325 Gram
Total Price: ₹ 300.00
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