₹300.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
224 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2016
ISBN
8173152497
Weight
365 Gram
‘और यह कौन है, बतला?’ उन लोगों में से एक ने पूछा| गाड़ीवान ने तुरंत उत्तर दिया, ‘ललितपुर का एक कसाई|
’ इसका खोपड़ा चकनाचूर करो, दाऊजू यदि ऐसे न माने तो | असाई-कसाई हम कुछ नहीं मानते | '
' छोड़ना ही पड़ेगा | ' उसने कहा, ' इसपर हाथ नहीं पसारेंगे और न पैसे ही छुएँगे |'
दूसरा बोला, ' क्या कसाई होने से? दाऊजू, आज तुम्हारी बुद्धि पर पत्थर पड़ गए हैं-मैं देखता हूँ, ' और तुरंत लाठी लेकर गाड़ी में चढ़ गया | लाठी का एक रज्जब की छाती में अड़ाकर उसने तुरंत रुपया पैसा निकालकर देने का हुक्म दिया | नीचे खड़े हुए उस व्यक्ति ने जरा तीव्र स्वर से कहा, ' नीचे उतर आओ, नीचे उतर आओ | उसकी औरत बीमार है | '
' हो, मेरी बला से!' गाड़ी में चढ़े हुए लठैत ने उत्तर दिया, ' मैं कसाइयों की दवा हूँ | ' और उसने रज्जब को फिर धमकी दी | नीचे खड़े हुए उस व्यक्ति ने कहा, ' खबरदार, जो उसे छुआ! नीचे उतरी, नहीं तो तुम्हारा सिर चूर किए देता हूँ | वह मेरी शरण आया था | '
-इसी पुस्तक से प्रस्तुत कहानी संग्रह में पाठकों को पढ़ने को मिलेंगी-' शरणागत ', ' हमीदा ' ' तोषी ', ' राखी ', ' कलाकार का दंड ', ' अँगूठी का दान ' एवं ' घर का वैरी ' जैसी लेखक की प्रख्यात कहानियाँ |
वर्माजी की कहानियों का यह संग्रह पठनीय एवं संग्रहणीय-दोनों है |
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