कार्यालय शासनतंत्र के भवन के मुख्य आधार, व्यवस्था और विकास के प्रधान स्तंभ | एकतंत्र और राजतंत्र से लेकर गणतंत्र और प्रजातंत्र के शासनसूत्र का संचालन कार्यालयों और दफ्तरों के छोटे-बड़े भवनों में बैठे अधिकारियों और बाबुओं के हाथ में रहता है | वे ही इसके अभिनेता हैं और वे ही इसके सूत्रधार | वास्तविकता यह है कि देश उसी गति से आगे बढ़ता है जिस गति से देश के दफ्तर उसे चलाना चाहते हैं, उसी दिशा में बढ़ता है जिस दिशा में दफ्तरों की फाइलें उसे बढ़ाना चाहती हैं | कार्यालयी संस्कृति के विशद इंद्रजाल से मोहित समाज की विवशता प्राय: लेखकों और कहानीकारों की लेखनी का विषय रही है; और कथाकारों ने व्यापक फलक पर इस संस्कृति के सच्चे व यथार्थ चित्र उकेरे हैं, जिनमें नैतिक मूल्यों के हास का रूपांकन करते समय उन्होंने कार्यालयी वास्तविकता केशों को अधिक-से-अधिक गहरा करने का प्रयास किया है | इस संग्रह में ऐसे ही कुछ विशिष्ट कथाचित्र समाविष्ट हैं |
Karyalaya Jiwan Ki Kahaniyan (कार्यालय की कहानियाँ)
Author: Giriraj Sharan (गिरिराज शरण)
Price:
₹
200.00
Condition: New
Isbn: 8173151415
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,
Publishing Date / Year: 2010
No of Pages: 160
Weight: 325 Gram
Total Price: ₹ 200.00
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