₹400.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
172 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
8173153760
Weight
325 Gram
दफ्तर की अवधि में बिलकुल ठीक समय पर बैजनाथ बाबू कार्यालय में पहुँचते, हाजिरी रजिस्टर पर दस्तखत करते, कुरसी-टेबल को चपरासी से झड़वाते, अलमारी की चाबी देते, टेबल पर दो-चार फाइलें रखवाते, कलमों का स्टैंड करीने से रखते, घंटी को बजाकर देखते; फिर कुरसी पर बैठते | किसी-न- किसी बहाने साहब के चेंबर में जाते | उन्हें शक्ल दिखाते | घर का कुशल- क्षेम और अपने लायक विशेष सेवा पूछते | ' भीतर किसको भेजूँ सर?' जैसा सवाल ' चस्पाँ करते | दफ्तर के मौसम का हाल बयान करते और ' आपकी मेहरबानी का धन्यवाद, मेहरबान ' कहकर सिर झुकाए बाहर आ जाते | बाहर आकर अपनी कुरसी पर बैठते | और.. .बिजूका बनाना शुरू कर देते | घर से लाए झोले को कुरसी पर लटका देते | अलमारी में से अपनी खैनी-तंबाकू की डिबिया टेबल पर रखते | चूने की डिबिया को आधी खुली रखकर पोजीशन देते | कलमदान में से एक कलम निकालकर उसे खुली छोड़ते | घर से लाए अतिरिक्त चश्मे को खोलकर सामनेवाली फाइल पर रखते | फिर चुपचाप अलमारी में से अपनी एडीशनल जैकेट निकालकर कुरसी के पीछे फैलाकर टाँग देते | सारा दफ्तर कनखियों से देखता था कि बिजूका बन रहा है | -इसी पुस्तक से
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