₹400.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
176 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
8188140279, 9789386871244
Weight
300 Gram
उफ! उसने तो इतनी जल्दी की अपनी भूमिका जल्दी-जल्दी निभाने के बाद दृश्य से गायब होने की कि आश्चर्य-परम प्राश्चर्य! मानो जिंदगी में हर मोरचे पर हारने और हर मोरचे पर मुझसे पीछे, बहुत पीछे रहनेवाला नवीन आगे निकलने को इस बुरी तरह बेताब हो कि उसने अपने भीतर का सारा बल समेटकर और सबकुछ दाँव पर लगाकर एक अंतिम लंबी छलाँग यह कहते हुए गलाई कि लो भाई साहब, अब खुद को सँभालो, मैं चला! .. .कि लो भाई साहब, यह रही शह! अब सँभालो अपना बादशाह.. .कि खत्म, खेल खतम | और यह.. .मैं चला! और मैं सचमुच समझ नहीं पाया कि मरा नवीन है या मैं? मैं या नवीन? वही नवीन, सदा का दीवाना और अपराजेय नवीन, यों मुझे चिढ़ाकर चला गया.. .कि पहले मेरे हाथ-पैरों में एक तीखी सर्पिल टकार, एक प्रचंड ललकार-सी पैदा हुई कि साले, तू क्या यों मुझे धोखा देकर जा सकता है? आ, इधर आ... आ, देखता हूँ तुझे! और फिर अचानक मेरे हाथ-पैर जैसे सुन्न हो जाते हैं कि जैसे उनमें जान ही नहीं.. .कि जैसे लकवा... क्या मैं कहूँ? बताइए मैं किन शब्दों में कहूँ कि इतना दुःख... आत्मा को यों छीलनेवाला, बल्कि... आत्मा का छिलका- छिलका उतार देनेवाला इतना गहरा दुःख और इतना ठंडा सन्नाटा मैंने अपने जीवन में कभी न झेला था | -इसी संग्रह से
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