₹200.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
160 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2014
ISBN
9789383111442
Weight
305 Gram
‘‘अबे सालो! तुम गरीबों की भी कोई इज्जत होवे है| इज्जत है पैस्सा, जिसके पास पैस्सा है, उसकी इज्जत है| तेरे पास रैने कू घर नहीं, पहनने कू ढंग का कपड़ा नहीं, सेठजी ऐसान कर रये तुझ पे| एक रात में तेरी लुगाई दस हज्जार कमाकर लाएगी, फिर साले उसे रानी बनाकर रखियो तू|’’ कहकर ठेकेदार जोर से हँसा| -मर गई वो लज्जो मेरी बेचैनी और कुढ़न कम नहीं हुई, बल्कि और बढ़ गई| मौलाना की कार मुझे कुछ ऐसे अखर रही थी जैसे किसी औरत को उसकी सौतन शादी की पहली रात को अखरती है| मैं सोच रहा था कि काश! हमें भी शादी में कार मिली होती| बीवी हमारी चाहे इतनी सुंदर न होकर काली-कलूटी होती| -दहेज की कार ‘‘इन सैक्युलरों को धर्मांध होने में कितनी देर लगती है नेताजी, बस एक चिनगारी की जरूरत है|’’ ‘‘तो फिर देर किस बात की है, डालो न चिनगारी, वरना नुकसान दोनों पार्टियों का होगा|’’ ‘‘ठीक कह रहे हैं आप नेताजी, जिस दिन इस देश के लोगों ने धर्म-जाति की राजनीति से हटकर सोचना शुरू कर दिया, हमारी और आपकी पार्टी के तो दफ्तर ही बंद हो जाएँगे|’’ -फसाद -इसी संग्रह से
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