₹300.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
224 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2016
ISBN
9788177212327
Weight
380 Gram
"अंधा देख नहीं सकता| वह अंदर बढ़ गई, तब भी उसने नहीं देखा| जब उसने काँपते हुए हाथों से दरवाजा बंद कर दिया, तब चिल्लाया था-‘‘कौन है?’’
‘‘मैं हूँ, लछमी भिखारिन...’’ एकाएक उसके मुँह से निकल पड़ा था और वह चौंकी थी| ‘‘कहाँ भीख माँगती थी? आज तक तो दिखी नहीं...’’
तो क्या यह अंधा देखता भी है? ‘‘नई-नई आई है क्या इस शहर में?’’
‘‘हाँ...आँ!’’
उसकी आवाज कितनी बदल गई थी! उस शख्स के लिए भी तो वह बिलकुल नई-नई थी| ‘‘कोई बच्चा-वच्चा भी है?’’
‘‘ऊँ हूँ...अभी तो मेरी शादी ही नहीं हुई है|...’’
‘‘उमर क्या होगी तेरी?’’
-इसी संग्रह से हिंदी के बहुचर्चित कहानीकार शैलेश मटियानीजी ने इन कहानियों में पूँजीवादी समाज-व्यवस्था के शिकार शोषितों-पीडि़तों के दु:ख-दर्द को जीवंत एवं कारगर तरीके से उजागर किया है| अत्यंत मर्मस्पर्शी, संवेदनशीलता व पठनीयता से भरपूर कहानियाँ|
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