"अंधा देख नहीं सकता| वह अंदर बढ़ गई, तब भी उसने नहीं देखा| जब उसने काँपते हुए हाथों से दरवाजा बंद कर दिया, तब चिल्लाया था-‘‘कौन है?’’ ‘‘मैं हूँ, लछमी भिखारिन...’’ एकाएक उसके मुँह से निकल पड़ा था और वह चौंकी थी| ‘‘कहाँ भीख माँगती थी? आज तक तो दिखी नहीं...’’ तो क्या यह अंधा देखता भी है? ‘‘नई-नई आई है क्या इस शहर में?’’ ‘‘हाँ...आँ!’’ उसकी आवाज कितनी बदल गई थी! उस शख्स के लिए भी तो वह बिलकुल नई-नई थी| ‘‘कोई बच्चा-वच्चा भी है?’’ ‘‘ऊँ हूँ...अभी तो मेरी शादी ही नहीं हुई है|...’’ ‘‘उमर क्या होगी तेरी?’’ -इसी संग्रह से हिंदी के बहुचर्चित कहानीकार शैलेश मटियानीजी ने इन कहानियों में पूँजीवादी समाज-व्यवस्था के शिकार शोषितों-पीडि़तों के दु:ख-दर्द को जीवंत एवं कारगर तरीके से उजागर किया है| अत्यंत मर्मस्पर्शी, संवेदनशीलता व पठनीयता से भरपूर कहानियाँ|
Tisara Sukh Tatha Anya Kahaniyan (तीसरा सुख तथा अन्य कहानियाँ)
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300.00
Condition: New
Isbn: 9788177212327
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,
Publishing Date / Year: 2016
No of Pages: 224
Weight: 380 Gram
Total Price: ₹ 300.00
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