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Pratham Vishwa Yuddha (प्रथम विश्व युद्ध)

Price: ₹ 500.00

Condition: New

Isbn: 9789381063439

Publisher: Prabhat Prakashan

Binding: Hardcover

Language: Hindi

Genre: Novels And Short Stories,War And Terrorism,

Publishing Date / Year: 2018

No of Pages: 248

Weight: 500 Gram

Total Price: 500.00

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औद्योगिक क्रांति के कारण सभी बड़े देश ऐसे उपनिवेश चाहते थे, जहाँ से वे कच्चा माल पा सकें तथा मशीनों से बनाई हुई वस्तुएँ बेच सकें| इस उद‍्देश्‍य की प्राप्‍ति के लिए सैनिक शक्‍ति बढ़ाई गई और गुप्‍त कूटनीतिक संधियाँ की गईं| इससे राष्‍ट्रों में अविश्‍वास और वैमनस्य बढ़ा और युद्ध अनिवार्य हो गया| ऑस्ट्रिया के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्क ड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्‍नी की हत्या इस युद्ध का तात्कालिक कारण था| ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध घोषित कर दिया| रूस, फ्रांस और ब्रिटेन ने सर्बिया की सहायता की और जर्मनी ने ऑस्ट्रिया की| यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ्रीका तीन महाद्वीपों और जल, थल तथा आकाश में लड़ा गया| प्रारंभ में जर्मनी की जीत हुई| 1917 में जर्मनी ने अनेक व्यापारी जहाजों को डुबोया| इससे अमरीका ब्रिटेन की ओर से युद्ध में कूद पड़ा, किंतु रूसी क्रांति के कारण रूस महायुद्ध से अलग हो गया| सन् 1918 में ब्रिटेन, फ्रांस और अमरीका ने जर्मनी आदि राष्‍ट्रों को पराजित किया| जर्मनी और ऑस्ट्रिया की प्रार्थना पर 11 नवंबर, 1918 को युद्ध की समाप्‍ति हुई| युद्धों से कभी किसी का भला नहीं हुआ| ये तो विनाश-सर्वनाश के कारण हैं| किसी भी सभ्य समाज में युद्धों का कोई स्थान नहीं है; और इन्हें किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए| इस पुस्तक का उद‍्देश्‍य भी यही है कि विश्‍वयुद्धों की विभीषिका से सीख लेकर हम युद्धों से तौबा कर लें और ऐसी परिस्थितियाँ पैदा न होने दें, जो युद्धों का जन्म दें| मानवीय संवेदना और मानवता को बचाए रखने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक|