Insaniyat Ke Funde (इंसानियत के फंडे)

By N. Raghuraman (एन. रघुरामन)

Insaniyat Ke Funde (इंसानियत के फंडे)

By N. Raghuraman (एन. रघुरामन)

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Specifications

Genre

Philosophy

Print Length

159 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2016

ISBN

9789350484746

Weight

300 Gram

Description

आज हर कोई औरों से भिन्न होना चाहता है| अच्छा मनुष्य बनना अलग बात है, क्योंकि अच्छे लोगों की संख्या लगातार कम होती जा रही है| अच्छे लोगों के कम होते जानेवाली दुनिया में अच्छा होना सचमुच अलग बात है| इसलिए अच्छे बनिए| कुछ हटकर अपना जीवन जिएँ और मानवता और इनसानियत के नए मुकाम हासिल करें|
इस पुस्तक में बताए कुछ फंडे हैं-
बुजुर्ग हमारी संपत्ति हैं या जिम्मेदारी, इसका फैसला खुद हमें ही लेना होगा| यदि नई पीढ़ी इन अनुभवी लोगों को अकेले में जीने-मरने के लिए छोड़ती है तो यह उसकी निरी मूर्खता है| जब हम छोटे थे तो वे हमारी संपत्ति थे, फिर बड़े होने पर वे हमारे लिए भार कैसे बन सकते हैं?
यदि आप मकान को घर बनाना चाहते हैं तो ईंट-गारे से बनी इस इमारत में अपनी भावनाओं का भी थोड़ा निवेश करें|
भवन की दीवारों को स्मृतियों की अदृश्य तसवीरों से सजाएँ| फिर देखिए, भवन खुले दिल से आपको अपनाएगा|
अगर आपके भीतर समाज की बेहतरी के लिए काम करने का जज्बा है तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप जेल में हैं या जरूरतमंदों के बीच; आप कहीं भी रहते हुए ऐसा कर सकते हैं|
अपने विनम्र व सुखद व्यवहार से आप दुनियाभर में दोस्त बना सकते हैं| इन दोस्तों की फौज समय आने पर आपकी मदद ही करेगी|
यदि आप समाज का हित किसी भी माध्यम से करना चाहते हैं तो कोशिश कीजिए कि समाज के अंतिम व्यक्‍ति को उसका लाभ मिले|


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