₹250.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
128 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
9789381063422
Weight
280 Gram
महाभारत हिंदू सभ्यता और संस्कृति का एक पावन धर्मग्रंथ है| इसका आधार अधर्म के साथ धर्म की लड़ाई पर टिका है| इसे पाँचवाँ वेद भी कहा जाता है| महाभारत में ही समाहित ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ एवं ‘विदुर नीति’ इसके दो आधार-स्तंभ हैं| एक में भगवान् श्रीकृष्ण अधर्म के विरुद्ध अर्जुन को युद्ध के लिए प्रेरित करते हैं तो दूसरे में महात्मा विदुर युद्ध टालने के लिए धृतराष्ट्र को अधर्म (दुर्योधन) का साथ छोड़ने के लिए उपदेश करते हैं| यहाँ श्रीकृष्ण तो अपने उद्देश्य में सफल हो जाते हैं, लेकिन विदुर के उपदेश धृतराष्ट्र का हृदय-परिवर्तन नहीं कर पाते, जिसका परिणाम महाभारत के युद्ध के रूप में सामने आता है| लेकिन इसके लिए हम विदुरजी की नीति को विफल नहीं ठहरा सकते| उनका प्रत्येक उपदेश अनुभूत है और काल की कसौटी पर भलीभाँति जाँचा-परखा है; जैसे कि ‘पाँच लोग छाया की तरह सदा आपके पीछे लगे रहते हैं| ये पाँच लोग हैं-मित्र, शत्रु, उदासीन, शरण देने वाले और शरणार्थी|’
द्वापर युग की देन ‘विदुर नीति’ आज कलियुग में कहीं अधिक प्रासंगिक है, क्योंकि आज दुनिया में दुर्योधनों की बाढ़ सी आ गई है| अत: इसके उपदेशों से शिक्षा लेकर व्यक्ति, समाज, राज्य और देश को सुखी तथा कल्याणकारी बनाया जा सकता है|
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