₹175.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
144 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
9789381063477
Weight
290 Gram
जीवानंद ने महेंद्र को सामने देखकर कहा, ‘‘बस, आज अंतिम दिन है| आओ, यहीं मरें|’’महेंद्र ने कहा, ‘‘मरने से यदि रण-विजय हो तो कोई हर्ज नहीं, किंतु व्यर्थ प्राण गँवाने से क्या मतलब? व्यर्थ मृत्यु वीर-धर्म नहीं है|’’जीवानंद- ‘‘मैं व्यर्थ ही मरूँगा, लेकिन युद्ध करके मरूँगा|’’कहकर जीवानंद ने पीछे पलटकर कहा, ‘‘भाइयो! भगवान् के नाम पर बोलो, कौन मरने को तैयार है?’’अनेक संतान आगे आ गए| जीवानंद ने कहा, ‘‘यों नहीं, भगवान् की शपथ लो कि जीवित न लौटेंगे|’’-इसी पुस्तक से‘आनंद मठ’ बँगला के सुप्रसिद्ध लेखक बंकिमचंद्र चटर्जी की अनुपम कृति है| स्वतंत्रता संग्राम के दौर में इसे स्वतंत्रता सेनानियों की ‘गीता’ कहा जाता था| इसके ‘वंदे मातरम्’ गीत ने भारतीयों में स्वाधीनता की अलख जगाई, जिसको गाते हुए हजारों रणबाँकुरों ने लाठी-गोलियाँ खाइऔ और फाँसी के फंदों पर झूल गए| देशभक्ति का जज्बा पैदा करनेवाला अत्यंत रोमांचक, हृदयस्पर्शी व मार्मिक उपन्यास|
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