₹300.00
MRPGenre
Print Length
160 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2011
ISBN
9789381063187
Weight
310 Gram
कृष्ण-भक्ति शाखा के कवियों में महाकवि सूरदास का नाम शीर्ष पर प्रतिषष्ठित है| अपनी रचनाओं में उन्होंने अपने आराध्य भगवान् श्रीकृष्ण का लीला-गायन पूरी तन्मयता के साथ किया है|
घनश्याम सूर के रोम-रोम में बसते हैं| गुण-अवगुण, सुख-दुःख, राग-द्वेष लाभ-हानि, जीवन-मरण-सब अपने इष्ट को अर्पित कर वे निर्लिप्त भाव से उनका स्मरण-सुमिरन एवं चिंतन-मनन करते रहे|
सूदासजी मनुष्यमात्र के कल्याण की भावना से ओतप्रोत रहे| उनके अप्रयत्यक्ष उपदेशों का अनुकरण करके हम अपने जीवन को दैवी स्पर्श से आलोकित कर सकते हैं-इसमें जरा भी संदेह नहीं है| प्रस्तुत पुस्तक में सूरदासजी के ऐसे दैवी पदों को संकलित कियाग या है, जिनमें जन-कल्याण का संदेश स्थान-स्थान पर पिरोया गया है|
पुस्तक में सूरकृत ‘विरह पदावली’, ‘श्रीकृष्ण बाल-माधुरी’ और ‘राम चरितावली’ के प्रमुख पदों को सरल भावार्थ सहित प्रस्तुत किया गया है, जिससे कि सामान्य पाठक भी उन्हें सरलता से ग्रहण करके भक्तिरस के आनंद-सागर में गोते लगा सकें|
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