कैसा है आज के टूटते-बिखरते गाँव का संपूर्ण सत्य- जिसमें लाखों-करोड़ों गवई मनई सांस्कृतिक खंडहरों में आर्थिक मार, सामाजिक उदासी और राजनीतिक प्रेत-बाधा के साथ विकासी मृगमरीचिका को इकट्ठे जीते हुए, अंधों की भाँति एक-दूसरे से टकरा रहे हैं| और इस व्यापक जटिल सत्य को इसकी संपूर्णता के साथ रचनात्मक स्तर पर प्रस्तुत करना क्या आसान है? इस कठिन कार्य को उठाया है विवेकी राय ने गहरी निष्ठा और असीम धैर्य के साथ, चकितकारी संतुलन-सामंजस्य के साथ तथा अपनी जादुई कलम के सारे जोर के साथ, प्रस्तुत कृति सोना माटी में| और यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि इस महान् उपन्यास के बीच से गुजरना- एक अंचल, एक समाज, एक देश और एक समय के साथ अनुरंजनकारी विचारोत्तेजनाओं के रोमांच के बीच से गुजरना सिद्ध होगा|
Sona Mati (सोना माटी)
Author: Viveki Rai (विवेकी राय)
Price:
₹
500.00
Condition: New
Isbn: 8173151067
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,
Publishing Date / Year: 2012
No of Pages: 464
Weight: 675 Gram
Total Price: ₹ 500.00
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