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Maharani Durgawati (महारानी दुर्गावती)

Price: ₹ 300.00

Condition: New

Isbn: 9788173150753

Publisher: Prabhat Prakashan

Binding: Hardcover

Language: Hindi

Genre: Novels And Short Stories,Memoir And Biography,History,

Publishing Date / Year: 2012

No of Pages: 239

Weight: 330 Gram

Total Price: 300.00

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दुर्गावती उद्यान में घूमने लगी| फूलों पर अधमुँदी बड़ी-बड़ी ओंखें रिपट-रिपट सी जा रही थीं, पँखुड़ियों की गिनती तो बहुत दूर की बात थी| कभी ऊँचे परकोटे पर दृष्टि जाती, कभी नीचे के परकोटे और ढाल पर, दूर के पहाड़ों पर और बीच के मैदानों के हरे- भरे लहराते खेतों पर| दूर के जंगल में जैसे कुछ टटोल रही हो, फुरेरू आती और नसें उमग पड़तीं| क्या ऐसे धनुष-बाण नहीं बनाए जा सकते, जिनसे कोस भर की दूरी का भी लक्ष्यवेध किया जा सके? हमारे कालंजर की फौलाद संसार भर में प्रसिद्ध है, यहाँ के खग, भाले, तीर, छुरे युगों से ख्याति पाए हुए हैं| सुनते हैं, कभी चार हाथ लंबा तीर तैयार किया जाता था, जो हाथी तक को वेधकर पार हो जाता था| चंदेलों का वैभव फिर लौट सकता है. बघेले, बुंदेले और चंदेले मिलकर चलें तो सबकुछ कर सकते हैं; तुर्क, मुगल, पठान, सबको हरा सकते हैं| कैसे एक हों? महारानी दुर्गावती उपन्यास में इतिहास, जनता और लेखक एक में घुल-मिल गए हैं| चित्रण में, वर्णन में, भाषा में और शैली में लक्ष्मीबाई जैशा ही तेवर है| लोक-रस कुछ और गाढ़ा ही है|