₹300.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
259 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2011
ISBN
817315192x
Weight
375 Gram
भात परोसनेवाले ने नंदराम की पत्तल में परोसने के बाद कुछ चावल मुँह पर छिटक दिए | नंदराम ने मुंह पर चिपके चावलों को जल्दी से छुड़ाने की कोशिश की तो कुछ रगड़ खाकर और चिपक गए | कन्यापक्ष के लोग खिलखिलाकर हँस पड़े |
पहली पंगत में जिस मनुष्य ने भात परोसा था, वही इस पंगत में रायता परोस रहा था |.. बाराती बेतरह पकवानों पर टूट पड़े | थोड़ी देर में रायता परोसनेवाला ' लो साहब रायता, लो साहब रायता ' चिल्लाता हुआ सबके सामने से जाने लगा |
नंदराम के सामने भी रायता परोसनेवाला अपनी पुकार के साथ पहुँचा | नंदराम इस समय लड्डुओं के साथ युद्ध कर रहा था, इसलिए उसने रायते के लिए सिर हिला दिया और फिर लड्डू-युद्ध में मग्न हो गया | परोसनेवाला दूसरी पत्तल के सामने पहुँचा | परंतु तिरछी निगाह से वह देख नंदराम की तरफ रहा था | नंदराम का सिर पत्तल की ओर नीचा हुआ, उधर तपाक से परोसनेवाले ने रायते का घड़ा नंदराम के सिर पर उड़ेल दिया | साफा, ओंखें, मुँह, मूँछ, कुरता और धोती तक रायते से भर गई | मुँह में पड़ा हुआ लड्डू खड़ा हो गया |
जितनी हँसी बारातियों को पहली कच्ची पंगत के दिन आई थी, उसकी तौल से दुगुनी हँसी आज अकेले उस रायता परोसनेवाले को आई | शायद रायते की खटाई और तेजी के कारण नंदराम की आँखें बिलकुल लाल हो गईं | खाना छोड़कर मुँह पोंछता हुआ तुरंत उठ खड़ा हुआ |
' आगे यह साला किसीके साथ ऐसा मजाक न करने पाएगा, ' कहकर नंदराम ने रायता परोसनेवाला धड़ाम से नीचे दे मारा और फिर...
- इसी उपन्यास से
ऐतिहासिक उपन्यासों के साथ -साथ वर्माजी ने जिन सामाजिक उपन्यासों की रचना का है उनमें तत्कालीन रीति-रिवाज भी साकार हो उठे हैं | ' संगम ' उपन्यास यद्यपि सामाजिक घटनाओं को लेकर लिखा गया है; तथापि यह सत्य घटनाओं पर आधारित है |
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