₹300.00
MRPGenre
Print Length
231 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
9788177211436
Weight
400 Gram
संस्कृत का नाट्य-साहित्य सबसे प्राचीन है| और भरतमुनि का नाट्य-शास्त्र दुनिया का प्राचीनतम नाट्य-ग्रंथ है| वह आज भी सुरक्षित है| अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में संस्कृत नाटकों का अनुवाद हुआ है|
हर क्षेत्र में स्थानीय भाषाओं में लोक-नाटक मिलते हैं| इनमें स्थानीय गीत और नृत्य की प्रमुखता होती है| इस तरह के लोक-नाट्यों के रचनाकार और दर्शक स्थानीय व्यक्ति होते हैं| ये लोक-नाट्य पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे हैं| ये कितने पुराने हैं, यह कहना कठिन है|
नाट्य एक अद्भुतकला है| जब नाटक लिखा जाता है तो वह साहित्य है, मंचित होता है तो वह विज्ञान है, तकनीक है; क्योंकि उसमें अनेक ऐसी विधाओं का समावेश हो जाता है, जो लेखन से अलग होती हैं| मसलन निर्देशन, अभिनय, मंच व्यवस्था, सेट डिजाइन, मेकअप, दरजी के काम, बढ़ई के काम, प्रकाश-संचालन, वस्त्र-विन्यास, ध्वनि-उत्पादन, निर्माण आदि|
हिंदी नाट्य एवं रंगमंच का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती एक उपयोगी पुस्तक|
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