By Vivek Saxena (विवेक सक्सेना), Sushil Rajesh (सुशील राजेश)
By Vivek Saxena (विवेक सक्सेना), Sushil Rajesh (सुशील राजेश)
₹300.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
223 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9788173158902
Weight
400 Gram
नक्सलवाद किसी भी तरह की क्रांति नहीं, बल्कि आतंकवाद का ही नया प्रारूप है| बेशक यह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद के इसलामी आतंकवाद से भिन्न है, लेकिन नक्सलवाद को सामाजिक-आर्थिक-कानूनी टकराव करार नहीं दिया जा सकता| यह एक ऐसी जमात है, जिसे मुगालता है कि बंदूक की नली से 2050 तक भारत की सत्ता पर कब्जा किया जा सकता है| इस पुस्तक ‘नक्सली आतंकवाद’ का उपसंहार भी यही है| इस निष्कर्ष तक पहुँचने में हमने करीब चार दशक खर्च कर दिए और नक्सलियों को हम अपने ही भ्रमित बंधु मानते रहे| नतीजतन आज आतंकवाद से भी विकराल और हिंसक चेहरा नक्सलवाद का है| देश का करीब एक तिहाई भाग और आठ राज्य नक्सलवाद से बेहद जख्मी और लहूलुहान हैं| नक्सलवाद पर यह कमोबेश पहला प्रयास है कि सरकारी हथियारबंद ऑपरेशन के साथ-साथ नक्सलियों की रणनीति को भी समेटा गया है| तमाम पहलुओं का तटस्थ विश्लेषण किया गया है| नक्सलवाद की पृष्ठभूमि को भी समझने की कोशिश की गई है| यूँ कहें कि नक्सलवाद पर दो वरिष्ठ पत्रकारों का अद्यतन (अपडेट) अध्ययन है| पुस्तक की सार्थकता इसी में है कि सुधी पाठक और शोधार्थी इसे संदर्भ ग्रंथ के रूप में ग्रहण कर सकते हैं|
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