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Dholak Rani More Nit Uthi Ayu (ढोलक रानी मोरे नित उठी आयु)

Price: ₹ 500.00

Condition: New

Isbn: 9789380183824

Publisher: Prabhat Prakashan

Binding: Hardcover

Language: Hindi

Genre: Novels And Short Stories,

Publishing Date / Year: 2012

No of Pages: 415

Weight: 625 Gram

Total Price: 500.00

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‘ढोलक रानी मोरे नित उठि आयू’ में लोकमंगल भाव का आह‍्वान है, जो भारतीय संस्कृति का प्राणतत्त्व है| भारतीय ऋषियों ने मानव जीवन को संस्कारों के अनुशासन में बाँधकर उसे मनुष्य होने की गरिमा और सार्थकता देने का विधान रचा| शास्‍त्र और लोक, दोनों ने इस अनुशासन का महत्त्व समझा और संस्कारों, अनुष्‍ठानों के गीत तथा रीतियाँ परंपरा में प्रवाहित होते रहे| आज आपाधापी के युग में संस्कारों को विधिवत् संपन्न कराने का समय नहीं रहा| लोगों की रुचि और निष्‍ठा भी धीरे-धीरे चुकती जा रही है| वाचिक परंपरा की यह अनमोल विरासत संस्कार-गीत और लोकधुनें भी लुप्‍त हो रही हैं| इस धरोहर को सहेजना और इनके महत्त्व के प्रति लोगों को जागरूक करना आज राष्‍ट्रीय कर्तव्य है| इसमें संस्कार-गीतों के पद्यानुवाद हैं, स्वरलिपियाँ हैं, लोक-चित्र हैं, संस्कारों की रीतियों से जुड़े गीत हैं, जिनका सांस्कृतिक एवं सामाजिक महत्त्व है| मैं लोकगीतों की पंक्‍त‌ियाँ गुनगुनाती, उनके भावों में डूबती-उतराती वर्तमान सामाजिक समस्याओं का निदान उनमें ढूँढ़ती हूँ| संस्कार गीतों में मनुष्य, परिवार और समाज जीवन-निर्माण की सारी कलाएँ पिरोई हुई हैं| भिन्न-भिन्न भाषाओं के संस्कार-गीतों के उद‍्देश्य और भाव एक ही हैं, क्योंकि भारतीय जीवन-मूल्य एक है| मैं विद्या विंदु सिंह की आशीर्वाद और शुभकामना देती हूँ कि उनका प्रयास संस्कारों से विमुख होते जा रहे मनुष्यर में संस्कारों की संवेदना फिर से जगा सके | -मृदुला सिन्हा, वरि‍ष्‍ठ साहित्यकार