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Sona (सोना)

Price: ₹ 250.00

Condition: New

Isbn: 8173151326

Publisher: Prabhat Prakashan

Binding: Hardcover

Language: Hindi

Genre: Novels And Short Stories,

Publishing Date / Year: 2011

No of Pages: 186

Weight: 325 Gram

Total Price: 250.00

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अनूप ने आसपास के गाँवों में रूपा की छानबीन की | धौजरी के पास एक सहरिनी मिली | उसने बतलाया-' खरे गोरे रंग की थी, लाल-पीली, छलकती जवानी?' ' हाँ हाँ कहाँ गई वह?' ' अरे वह तो नदी में डूबने जा रही थी..!' ' उसने बतलाया था कहाँ की है?' ' हाँ, हाँ, कहती थी धौर्रा-पिपरई की हूँ | घरवाले ने मारा तो लड-भिड़कर भाग आई | अहा! लोहू छलछला रहा था उसके रोम-रोम से!!' ' क्या घायल हो गई थी? हे राम!' ' अरे तुममें कुछ अक्कल भी है? मैंने तो उसका रंग बतलाया | ' सहरिनी ने पूछा-' तुम कौन लगते हो उसके?' ' घरवाले | ' ' आग लगे तुम्हारे हाथों में! आँख के अंधे नाम नैनसुख!! कमल के फूल को क्या सिलबट्टे से कुचला जाता है?' ' सौगंध खाता हूँ कभी नहीं मारूँगा, कड़ी बात तक नहीं करूँगा | ' ' देवगढ़ गई है | चार-पाँच दिन हो गए तब | ' ' क्या लिये थी वह अपने साथ?' ' हेल्लो! मैं क्या कहीं की पटवारी चौकीदार हूँ जो दूसरों की चीज-बस्त देखती फिरूँ! एक पोटली लिये थी, तलवार बाँधे थी! जैसे कहीं रन में जूझने जा रही हो | ' -इसी उपन्यास से गाँव में अथाई ( अगिहाने) के पास बैठकर रात-रात- भर चलनेवाले किस्से- कहानियाँ उपदेश और रोचकता में पंचतंत्र और हितोपदेश से कम नहीं हैं | वर्माजी ने अथाई कथा को लेकर उपन्यास- क्षेत्र में सफल प्रयोग किए | ' सोना ' उनका इसी तरह का प्रसिद्ध उपन्यास है |