पंचायत की पद्धति अपने देश के लिए कोई नई नहीं है| आदिवासी हों या मूलवासी, सभी में हजारों वर्षों से पंचायत की अपनी एक ठोस परंपरा रही है| सुख-दुःख से लेकर लड़ाई-झगड़ों के निपटारे, शादी-विवाह और जन्म-मृत्यु में पंचायत और सगे-संबंधी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं| पंचायत समुदाय द्वारा तय मर्यादा का वहन और संचालन करती है, रीति-रिवाज एवं परंपराओं का सम्मान करती है| आज भी यह कई समुदायों में जिंदा है| निश्चित तौर पर जहाँ पंचायत जिंदा है, वह समाज आज भी स्वशासी और स्वावलंबी है| जिन समुदायों में यह पद्धति समाप्तप्राय है, वे परावलंबी बन परमुखापेक्षी बन गए हैं| विकास की मृगतृष्णा उन्हें अपनी जमीन से उजाड़ देती है; कहीं-कहीं तो भिखारी तक बना देती है| ‘अबुआ आतो रे, अबुआ राज’ महज कल्पना नहीं बल्कि एक सच्चाई है| इसे समझकर ही आगे सकारात्मक प्रयोग हो सकते हैं| इस अर्थ में यह हैंडबुक महज नियमों का पुलिंदा नहीं है, बल्कि इसमें नियमों के साथ आदिवासी समाज के उन परंपरागत नियमों को शामिल किया गया है, जिनके बल पर आदिवासी व मूलवासी समाज हिल-मिलकर आगे बढ़ रहे हैं| इस हैंडबुक की सार्थकता लोगों की सक्रियता पर निर्भर है| वे जितने सक्रिय होंगे, इसका जितना उपयोग कर सकेंगे, उतना ही इस पुस्तक से लाभ उठा सकेंगे|
Jharkhand Panchayati Raj Handbook (झारखंड पंचायती राज हैंडबुक)
Author: Rashmi Katyayan (रश्मी कात्यायन)
Price:
₹
175.00
Condition: New
Isbn: 9789350484012
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Other,
Publishing Date / Year: 2013
No of Pages: 134
Weight: 280 Gram
Total Price: ₹ 175.00
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