दहलीज़ पार में मैंने अपने समाज की जीव-कोशिका में जमी बैठी नर-नारी के रिश्तों के असंतुलन को प्रदर्शित किया है| कुछ कहानियाँ तो अपने आसपास से सुनी ध्वनि मात्र से उपजी हैं और कुछ अपनी लंबी जीवन-यात्रा के अनुभव से जुड़ी हैं| लगभग सभी में स्त्री का निम्न व घटिया स्तर खुलेआम घटित दिखता है| उदाहरण के तौर पर ‘नारी दिवस’ में नर-नारी के संबंधों में असमानता की स्थिति की वजह से कैसे रुक्मिणी दुःखद और असहनीय परिस्थितियों में दूसरे दरजे की गृहिणी बन, अस्वीकृत हो, अपमानित समय गुज़ार आख़िकार जवानी में आत्महत्या कर लेती है| पुराने ज़माने की स्त्री प्रत्यक्ष रूप से और आज की नारी अस्पष्ट व अप्रत्यक्ष रूप से, आधुनिकता के आवरण से ढकी ‘मनु संसार’ में सेकंड क्लास नागरिक बनी चली चलती है| चाहे सभी कहानियाँ समाज में व्याप्त विद्रूपताओं का आईना हैं, लेकिन फिर भी बहुत रिश्तों में प्यार की एकात्मता की .खूबसूरती व गहराई एक स्थिर स्वर-धुन बन जाती है दहलीज़ पार में|
Dahleez Paar (दहलीज़ पर)
Author: Indu Ranchan (इंदू रांचन)
Price:
₹
175.00
Condition: New
Isbn: 9789350484807
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,
Publishing Date / Year: 2013
No of Pages: 128
Weight: 265 Gram
Total Price: ₹ 175.00
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