गौतम गुरुजी अम्मा को पहुँचाने गली के मोड़ तक आए थे| रिक्शे पर बैठाते हुए उन्होंने हठात् उनके पाँव छू लिये थे| ‘‘सौ बरस जियो, बहुत बड़े विद्वान् बनो, बेटा...!’’ उसने रास्ते में ही अम्मा को आड़े हाथों लेना चाहा था, ‘‘क्या अम्मा, तुम भी...आज गलती से भंगवाली बर्फी का प्रसाद तो नहीं पा गईं...? अपने गाँव-घर का पोथा-पुरान बखानने की क्या जरूरत थी, वह भी उनके सामने....’’ थोड़ी देर की चुप्पी के बाद धीरे से बोल उठी थीं, ‘‘गौतम दूसरों जैसा नहीं है, बचिया, मेरा विश्वास है उस पर...’’ वह हैरान सी अम्मा का चेहरा देऌखती रह गई थी, ‘‘इसके पहले तो तुमने कभी उन्हें देऌखा भी नहीं अम्मा...फिर भी कैसे तुम...’’ -इसी संग्रह से
Dwandwa / Tarpan (द्वंद्व / तर्पण)
Author: Rita Shukla (ऋता शुक्ल)
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₹
300.00
Condition: New
Isbn: 8173154082
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,
Publishing Date / Year: 2011
No of Pages: 167
Weight: 280 Gram
Total Price: ₹ 300.00
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