₹125.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
88 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2014
ISBN
9789383111541
Weight
235 Gram
भारतीय संत परंपरा के गौरवपूर्ण अभिधान हैं आचार्य तुलसी-उनका व्यक्तित्व, कर्तृत्व और नेतृत्व महानता लिये हुए था| उनके पुनीत पुरुषार्थ से तेरापंथ शासन, जैन शासन और मानवजाति उपकृत हुए| संप्रदाय विशेष का नेतृत्व करते हुए उन्होंने असांप्रदायिक धर्म रूप में अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया| महान् परिव्राजक ने प्रलंब पद यात्राओं द्वारा देश के विभिन्न प्रांतों में जनता के चारित्रिक उत्थान का प्रयास किया| उस महान् युगसृष्टा की जन्मशताब्दी के पावन प्रसंग की पवित्र प्रेरणा से प्रणित नाटक है ‘युगद्रष्टा’| आचार्य तुलसी ने जिस तरह से जनमानस के अंतःस्थल में उतरकर उनकी चेतना को झंकृत किया-मनोवैज्ञानिक रूप से परिवर्तन को घटित किया, उन्हीं संदेशों की अनुगूँज द्वारा वर्तमान जनमानस को झकझोरने का विनम्र प्रयास है-‘युगद्रष्टा’| इसमें कहीं सहज रूप से घटित घटनाओं एवं पात्रों की झाँकी देखी जा सकेगी, कहीं आचार्य तुलसी के व्यक्तित्व की विशेषताएँ जीवंत संवाद रूप में स्वतः प्रकट होती है, कहीं कल्पना की उड़ान-कहीं परिस्थिति जन्य दृढ़ता| कुछ में दृश्य की वास्तविकता, कुछ में अदृश्य की अनुभूति भी परिलक्षित होती है| आशा है कि पाठक श्रोता एवं दर्शक भी इस आनंद सागर में निमज्जित हुए बिना नहीं रहेंगे| पुस्तक पढ़ते समय एवं नाटक देखते समय प्रतिक्षण चैतन्य के संस्पर्श का अनुभव कर सकें, युगद्रष्टा के कार्यों की महानता से अनुप्राणित हो सकें और एक नव-जागृति अँगडाई ले सकें, तभी श्रम की सार्थकता होगी|
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