₹400.00
MRPGenre
Other
Print Length
152 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789383111329
Weight
290 Gram
विद्यावारिधि संस्थान का पवित्र लक्ष्य माल-टाल बनाना है| माल और टाल दोनों के बनाने को वह टाल नहीं सकता| ज्ञानशून्य बेरोजगार इंजीनियरों, डॉक्टरों की फौज बढ़ाने में वह असाधारण रूप से सफल है| इस तकनीकी कॉलेज में उन शिक्षकों को अधिक वेतन देय है, जिन्हें पढ़ाने से मतलब नहीं पर जो दूर-दराज से सत्रह की उम्र से सत्तर की उम्र के ज्ञानपिपासुओं के प्रवेश करा देते हैं| ऊँची राशि देनेवाले डिग्री के आकांक्षी छात्रों पर यह कॉलेज दो सालों से निगाह टिकाए था| गत वर्ष ही परीक्षा के बाद संस्थान ने उन्हें डायरी दी, केलकुलेटर दिए, प्रवेश के बाद हर एक को लेपटॉप भी देगा| यह कॉलेज नई पीढ़ी के प्रति अतिशय संवेदनशील और करुणा से ओत-प्रोत है| विद्यार्थी भले ही पास क्लास या तीसरी श्रेणी में अभी तक उत्तीर्ण होता रहा हो, उस ज्ञानपिपासु को इंजीनियरिंग डिग्री में निन्यानबे प्रतिशत अंक दिलवाने की गारंटी रहती है| कलकत्ता में नौकरी करनेवाला युवक एक हजार किलोमीटर दूर स्थित गोपालनगर के इस इंजीनियरिंग कॉलेज का नियमित छात्र रह सकता है| बस वर्ष में दो दिन परीक्षा फॉर्म भरने आना पड़ता है| यदि किसी ने कॉलेज का फूल तोड़ा तो फाइन, यूनिफॉर्म पहनकर नहीं आया तो फाइन| एवरीव्हेयर फाइन| कॉलेज इज रीयली फाइन| इंजीनियरिंग कॉलेज, उनमें प्रवेश पाने के हथकंडे, उनके परिवेश, शिक्षा का स्वरूप, शिक्षकों की स्थिति-सबका बड़ी बेबाकी से वर्णन किया है| प्रसिद्ध व्यंग्यकार प्रो. हरि जोशी ने तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भीतर तक पैठ कर चुकीं विकृतियों को उद्घाटित करनेवाला एक सशक्त व्यंग्य उपन्यास|
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