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Yaha To Wahi Hai (यहाँ तो वही है)

Price: ₹ 125.00

Condition: New

Isbn: 8188140864

Publisher: Prabhat Prakashan

Binding: Hardcover

Language: Hindi

Genre: Novels And Short Stories,

Publishing Date / Year: 2011

No of Pages: 100

Weight: 225 Gram

Total Price: 125.00

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यह तो वही है-सुधा “वह अभी तक बैठी ही हुई है?” थानेदार ने पूछा| “कौन, वह पगली?” “सुनो, वह पागल नहीं है|” थानेदार गंभीर होकर बोला| “बिलकुल सिरफिरी है| उसका दिमाग एकदम खिसका हुआ है|” “जानते हो, परसों से ही उसने कुछ खाया नहीं है|” “खाने को कुछ दे-दिलाकर भगाना चाहिए इस आफत को|” “वह भीख लेगी?” “देंगे, तो क्यों नहीं लेगी?” “कहती है कि बड़े बाप की बेटी है, ससुर भी नामी श्रेष्‍ठी था|” “तो यह क्यों मारी-मारी फिर रही है?” “अपने पति के बारे में पूछती फिर रही है|” “तो बता दीजिए उसे कि...कुछ कहकर टाल दीजिए|” “मैं कहूँ? क्यों? और तुम किस काम के लिए हो?” “सर, आपका कहना ही ठीक होगा|” “यह मेरा काम नहीं है|” “तो मुझमें भी इतनी हिंमत नहीं है कि उससे झूठ बोलूँ|” “एक औरत से झूठ नहीं बोल सकते? किस बूते पर सिपाही की नौकरी करने आए हो? उँह...झूठ नहीं बोल सकते तो किसी आश्रम में चले जाओ!” थानेदार कुढ़कर बोला| -इसी पुस्तक से इससे बढ़कर दु:ख की बात क्या हो सकती है कि हजारों वर्षों से जड़ जमाकर बैठी अंधी और अपराध-मित्र न्याय-व्यवस्था अभी भी ज्यों-की-त्यों बनी हुई है| भारतीय सामाजिक एवं न्याय व्यवस्था पर करारी चोट करता हुआ प्रभावशाली उपन्यास यह तो वही है|