लोकतंत्र में मीडिया से जनता को सबसे ज्यादा उम्मीदें होती हैं| मीडिया और उससे जुड़े लोग जब जन-भावनाओं, उम्मीदों और अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते तो उनकी आलोचना स्वाभाविक है| अकसर यह आलोचना मायूसी से उपजती है| मायूसी तब होती है जब मीडिया अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पाता या फिर तब, जब मीडिया किसी मुद्दे पर वैसा रुख नहीं अपनाता जैसा जनता उम्मीद करती है| जनता मीडिया को अपनी आवाज समझती है| ऐसे में जब मीडिया कमजोर पड़ता है तो आम इनसान खुद को लाचार समझने लगता है| असल में समस्या दोनों तरफ से है| गफलत तब होती है जब जनता मीडिया की ताकत को सरकार से ऊपर समझ बैठती है| मीडिया की भी अपनी सरहदें हैं, कमजोरियाँ हैं, मजबूरियाँ हैं| यहाँ काम करनेवालों के भी अपने दुःख-सुख हैं, दिक्कतें हैं, तकलीफें हैं| वे किस माहौल में काम करते हैं, उनका सामना रोज कैसे-कैसे लोगों से होता है, यही ‘द ग्रेट मीडिया सर्कस’ में बताने की कोशिश की गई है| बाहरी चमक से आकर्षित करनेवाले मीडिया का माहौल अंदर से कैसा है? दूसरों का चरित्र मापने वाले मीडिया का अपना चरित्र कैसा है? उससे जुड़े लोग कैसे हैं? उनकी सोच कैसी है, फितरत कैसी है? ये सब भी ‘द ग्रेट मीडिया सर्कस’ का अहम हिस्सा हैं| मीडिया जगत् की हकीकत से एक अलग ही अंदाज में रूबरू करानेवाली पठनीय पुस्तक|
The Great Media Circus (द ग्रेट मीडिया सर्कस)
Author: Ravindra Ranjan (रविन्द्र राजन)
Price:
₹
250.00
Condition: New
Isbn: 9789380186931
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Other,
Publishing Date / Year: 2013
No of Pages: 192
Weight: 355 Gram
Total Price: ₹ 250.00
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