₹200.00
MRPGenre
Mathematics
Print Length
106 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2014
ISBN
9788177213034
Weight
220 Gram
संसार में बुद्धिमान कम और मूर्ख अधिक क्यों हैं?' किसी ने पूछा तो जवाब मिला-' संख्या ( गणित) की अनभिज्ञता के कारण | ' यदि गणित न हो तो संसार का समस्त विकास तत्क्षण चौपट हो जाएगा | हमारे जीवन को कोई पाठ्य- विषय प्रभावित करे या न करे, गणित के बिना-पढ़े -लिखे और अनपढ़-किसी का भी कार्य चलना असंभव है | गणित के अभाव में भाषा गूँगी हो जाएगी तथा हमें अँगुलियों के इशारों से काम चलाना पड़ेगा | अत : जीवन स्वयं में जितना आवश्यक है, उतना ही गणित जीवन के लिए आवश्यक है | फिर क्या कारण है कि अधिकांश विद्यार्थी गणित के नाम से ही घबराने लगते हैं-वे चाहे प्राइमरी कक्षा के हों, विद्यालय, विश्वविद्यालय के हों या कि प्रतियोगी परीक्षाओं के परीक्षार्थी? कारण है, विषय का नीरस होना |
प्रस्तुत पुस्तक में गणित के ऐसे सरल- सुबोध सूत्र (फार्मूला) विद्वान् लेखकों ने प्रस्तुत किए हैं कि चुटकी बजाते ही, बड़ी- बड़ी संख्याओं के जोड़, घटाना, गुणा, भाग, वर्गमूल, घनमूल आदि- आदि निकाले जा सकते हैं | पुस्तक का नाम ' खेल-खेल में गणित ' सार्थक तो है ही, इन सूत्रों को याद करने मात्र से नीरस विषय भी सरस हो जाता है | यह पुस्तक विद्यार्थियों तथा प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगी |
हाथ कंगन को आरसी क्या, पड़े - लिखे को फारसी क्या? पुस्तक आपके हाथ में है, आजमाकर देख लीजिए |
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