₹200.00
MRPGenre
Print Length
118 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
9788173157196
Weight
260 Gram
इस तरह तय की हैं हमने मंजिलें,
गिर गए, गिरकर उठे, उठकर चले|
हम में से प्रत्येक महान् कार्य कर सकता है| सफलता की राह में मुश्किलें आती हैं, गिर-गिरकर सँभलना होता है और एक दिन मंजिल हमारे निकट होती है| परंतु सफलता का पहला सिद्धांत है काम-अनवरत काम| जीवन में सफलता पाने के लिए धैर्य को अपना घनिष्ठ मित्र, अनुभव को अपना बुद्धिमान परामर्शदाता तथा सावधानता को अपना बड़ा भाई बना लो-और आशा को अपना संरक्षक बनाना न भूलो|
सफल मनुष्य वही है जो दूसरे लोगों द्वारा अपने ऊपर फेंकी गई ईंटों से सुदृढ़ नींव और भवन खड़ा करता है| हम सबको अपने लक्ष्यों को सामने रखकर अपनी स्वयं की सफलताओं-विफलताओं पर ध्यान देना चाहिए और अपनी गलतियों को सुधारकर पुन:-पुन: आगे बढ़ना चाहिए|
विद्वान् लेखकद्वय ने प्रस्तुत पुस्तक में जीवन की सफलता के 501 गुरुमंत्रों को सँजोया है| जैसे-
जो भी करना है, अभी करें|
अपने समय का धन की तरह प्रबंधन करें|
समस्याओं को दबाएँ, अवसरों को उभारें|
प्रशंसा सार्वजनिक रूप से करें, निंदा अकेले में करें|
जरूरतें खत्म हो सकती हैं, लालच नहीं|
आशा है, सुधी पाठक इन गुरुमंत्रों का अध्ययन-चिंतन कर अपने जीवन को नई दिशा प्रदान करेंगे|
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