₹250.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
236 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2010
ISBN
818826654X
Weight
345 Gram
पुस्तक का शीर्षक ‘सबसे बड़ा रुपैया’ पैसे अथवा रुपए के साथ हमारे संबंधों की मौलिक रूपरेखा प्रस्तुत करता है| पुस्तक को जब भी आप खोलेंगे, आपको याद आएगा कि जब ‘पैसा’, ‘व्यक्तिगत शक्ति’ और ‘व्यापक बल’ : ये तीनों आपके साथ होंगे तो आपको जीवन में संतुलित और सामंजस्यपूर्ण विकास की अनुभूति होगी| रुपए से संबद्ध ऐसी कई तकनीकें और सूत्र हैं, जिन्हें मनी वर्कशॉप (रुपए की कार्यशाला) में पहले आजमाया जा चुका है| अत: आपको स्वयं कुछ नया खोजने की जरूरत नहीं है; इन तकनीकों या सूत्रों के माध्यम से आपका जीवन सरल और सुखमय बन सकता है| इस पुस्तक में आपको ऐसे कई विचार और अवधारणाएँ मिलेंगी, जो आपको पसंद आएँगी और जिन्हें आप स्वीकार भी करेंगे; क्योंकि आपको ऐसा महसूस होगा जैसे ये सभी विचार आपके अपने ही हैं| ‘सबसे बड़ा रुपैया’ पुस्तक में निहित विचारों या तकनीकों के आधार पर अपनी कार्य-योजना तैयार करें, क्योंकि ‘कार्य’ ही आपकी जेब में पैसों के संचालन या प्रवाह को बढ़ाएँगे और इस प्रकार आप उच्च श्रेणी के जीवन का आनंद ले सकेंगे| पुस्तक में रुपए की महत्ता व समर्थता के साथ ही यह भी बताया गया है कि रुपए की आसक्ति में मानवीय और भावनात्मक संबंधों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए|
0
out of 5