₹175.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
136 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2010
ISBN
9789380823133
Weight
270 Gram
मन तुरंग को साधना बेहद टेढ़ी खीर| वश में कर सकता इसे कोई एक कबीर|| • आता है जीवन भरा, जाता खाली खोल| मानव की भी त्रासदी ज्यों कुएँ की डोल|| • बोल तोलकर बोलना, थी पुरखों की सीख| मौन रतन अनमोल है, दो दमड़ी की चीख|| • नेता का हर शब्द जब कहलाए कानून| समझो तानाशाह को चढ़ने लगा जुनून|| • पानी से रोशन किए, जिसने बुझे चिराग| उस रूहानी आग में क्या तेरा कुछ भाग|| • केवट का क्या भाग्य जगत को पार लगाता| दो कूलों के बीच स्वयं बस आता-जाता|| • ऐंठें हम सौ बार पर झुक भी लें दो बार| दुखिया की दहलीज पर, दाता के दरबार|| • सहनशीलता संस्कार तो सागर ने पाया| जो छाती पर चढ़ा उसे भी पार लगा लाया|| • आओ चलो मॉल अपने से कुछ खरीद कर आएँ| बीस ग्राम मिट्टी, चुल्लू भर जल/वायु भर लाएँ|| • बार-बार पढ़ते रहें पुरखों लिखे निबंध| नत-मस्तक धारण करें शीतल मंद सुगंध||
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