मनुष्य सृष्टि की सर्वोत्कृष्ट रचना इसीलिए माना गया क्योंकि इस देहधारी द्वारा अत्यंत सच्चाई और ईमानदारी से किए गए थोड़े से ही प्रयास से असीम उपलब्धि संभव है| दूसरे शब्दों में मनुष्य योनि ही एकमात्र वह माध्यम है, जिसका सीधा रिश्ता नितांत सुलभता से अपने रचयिता से संभव है| मानव जीवन जीने की मौलिक कला का वास्तविक सार इसी रहस्य में निहित है| अतः माँभारत का कहना है-“ऐ वत्स, अत्यंत दुर्लभ अपने मानव तन की अमूल्यता को तू थोड़ा सा स्वयं विचार करके पहचान| चाहे तो पूर्णता का कोई मार्ग अपना ले, या फिर आत्मा से प्रेरित गुणों का सृजन निर्भीकता से अपने अंदर कर डाल| उसके उपरांत दोनों ही मार्गों पर केवल चल पड़ने की देर है और तू सहज में ही असीम पुरुषार्थ, असीम शक्तिवाला व्यक्तित्व धारण कर लेगा| परमानंद तेरे जीवन के प्रत्येक क्षण में स्वतः व्याप्त हो जाएगा| जीना किसे कहते हैं, इसका बोध तुझे अनायास हो जाएगा| जीने की कला का यही सबसे दिव्य रहस्य है| अब और विलंब करने की गुंजाइश नहीं रही| -इसी पुस्तक से इस पुस्तक में जीवन को संस्कारवान् बनाने और उसे सही दिशा में ले जाने के जिन सूत्रों की आवश्यकता है, उनका बहुत व्यावहारिक विश्लेषण किया है| लेखक के व्यापक अनुभव से निःसृत इस पुस्तक के विचार मौलिक और आसानी से समझ में आनेवाले हैं| जीवन को सफल व सार्थक बनाने की प्रैक्टिकल हैंडबुक है यह कृति|
Jeevan Ka Saar (जीवन का सार)
Price:
₹
250.00
Condition: New
Isbn: 9789380823744
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,
Publishing Date / Year: 2011
No of Pages: 415
Weight: 600 Gram
Total Price: ₹ 250.00
Reviews
There are no reviews yet.