₹300.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
248 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789350485231
Weight
425 Gram
छत्तीसगढ़ शताब्दियों से समन्वय, सद्भाव तथा श्रेष्ठ संस्कारों का क्षेत्र रहा है| माता कौसल्या की जन्मभूमि और श्रीराम के ननिहाल इस प्राचीन दक्षिण कोसल में भारतीय संस्कृति का धवल चरित्र विकसित हुआ| सिरपुर (प्राचीन श्रीपुर) में ताजा उत्खनन में प्राप्त छठवीं से आठवीं शताब्दी तक के पुरा-अवशेषों से पता चलता है कि यहाँ शैव, वैष्णव, शाक्त, बौद्ध और जैन उपासना पद्धतियों का अद्भुत सह-अस्तित्व रहा है| ऋषि-संस्कृति, अरण्य-संस्कृति, कृषि-संस्कृति और नागर सभ्यता यहाँ साथ-साथ पल्लवित होती रहीं| लंबी राजनीतिक उपेक्षा और अमानवीय शोषण के कारण प्रचुर नैसर्गिक संपदा का धनी यह अंचल पिछड़ेपन का शिकार बन गया| सही अर्थों में रत्नगर्भा इस धरती के निवासी घोर आर्थिक विपन्नता में जीवन व्यतीत करते रहे| भूख से अकाल मौतों का यहाँ कम-से-कम डेढ़ सौ वर्षों का काला इतिहास रहा| अन्याय का प्रतिकार करनेवाली जनता पर आजादी सत्ता द्वारा इसी क्षेत्र के राजनांदगाँव में किया गया था|
इसकी गणना देश के बीमारू प्रदेशों में होती रही| यहाँ के सहज और सरल निवासी निरंतर ठगे जाते रहे| परंतु एक दशक पूर्व छत्तीसगढ़ ने एक नई करवट बदली| इस दौरान इसने सबसे तेजी से बहुमुखी विकास कर रहे राज्य की पहचान बनाई है| इसकी खाद्य सुरक्षा गारंटी एक राष्ट्रीय मॉडल बन गई| महिला सशक्तीकरण में इस राज्य ने गत चार-पाँच वर्षों में एक लंबी छलाँग लगाई है| डॉ. रमन सिंह के संवेदनशील नेतृत्व में छत्तीसगढ़ देश के सिरमौर राज्य के रूप में उभर रहा है|
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