चलिए, अब आप मुझे मेरे अगले सवाल का जवाब दीजिए| आपके बकरे का नाम क्या था?” “जी?” “देखिए, यहाँ जितने भाई खड़े हैं, उन सबने अपने-अपने पालतू जानवरों को कुछ-न-कुछ नाम दिया होगा| प्यारा-प्यारा नाम| है न? उदाहरण के तौर पर...” एक ग्रामीण, जो हर बात को मजाक में उड़ाने में माहिर था, झट से बोला, “मैं अपनी बिल्ली को ‘महारानी’ कहकर पुकारता हूँ और अपने बैल की जोड़ी को ‘दुधिया’ और ‘लकदक’!” “यह हुई न बात! अब छाकू भाई, तुम भी अपने प्यारे दिवंगत बकरे का नाम बताओ| यह तो बहुत बढ़िया होना चाहिए|” छाकू की गरदन लटक गई| “तुम इससे कितना प्यार कतरे थे-यह तो अब साफ हो ही गया है| दूसरे, क्या हमें यह बताने की कृपा करोगे कि कल तुमने अपने इस अति विशिष्ट बकरे को क्या खिलाया था?” छाकू के हाथ-पाँव फूले दिख हरे थे| “पनीर का केक? पुलाव? प्लेट भरकर रसगुल्ले? आखिरी चीज तुमने इसे क्या खिलाई थी? बताओ जरा?” भीड़ में खड़े कुछ ज्यादा होशियार लोगों को लगा कि इस बात पर थोड़ा हँस देना चाहिए और उन्होंने वैसा ही किया| -इसी उपन्यास से मनोज दास ऐसे लेखक हैं जो पाठक का मनोरंजन करते हुए उसे हँसा या रुला सकते हैं, प्रसन्न या उदास कर सकते हैं| ऐसी ही विशेषताओं से संपन्न प्रस्तुत उपन्यास ‘आकाश-संकेत’ वर्तमान समाज की विद्रूपताओं, उठा-पटक, आम आदमी की दयनीयता तथा सफेदपोश समाज के काले कारनामों का पर्दाफाश करता
Aakash - Sanket (आकाश - संकेत)
Author: Manoj Das (मनोज दास)
Price:
₹
200.00
Condition: New
Isbn: 8173156719
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,
Publishing Date / Year: 2013
No of Pages: 94
Weight: 240 Gram
Total Price: ₹ 200.00
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