₹300.00
MRPGenre
Other
Print Length
146 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789382898795
Weight
300 Gram
प्राणियों में मनुष्य ही ऐसा प्राणी है, जो बातचीत द्वारा अपने विचारों और अपने सुख-दुःख की बातों को व्यक्त करने तथा दूसरों के विचारों और सुख-दुःख की बातों को समझने की क्षमता रखता है| मनुष्य ने बातचीत के अपने इस विशेष गुण को आदिकाल से आज तक किए गए प्रयोगों एवं अभ्यासों द्वारा विकसित किया और सँवारा है| बातचीत विचारों के आदान-प्रदान का सबसे सरल माध्यम है, जिससे हम किसी पर भी अपनी छाप छोड़ सकते हैं, अपने व दूसरों के अनेक अव्यक्त गुणों को उभारकर सामने ला सकते हैं और दूसरों के गुणों को ग्रहण कर लाभान्वित हो सकते हैं| बातचीत एक कला ही नहीं वरन् एक विज्ञान भी है और उसी तरह इसके क्रमानुगत निश्चित नियम भी हैं| विज्ञान के रूप में प्रयोग द्वारा हम इसका विकास करते हैं और कला के रूप में हम इसके निरंतर अभ्यास से इसमें दक्षता प्राप्त करते हैं| बातचीत की कला में प्रवीण लोग निश्चय ही जीवन का सबसे अधिक आनंद ले सकते हैं| बोल-व्यवहार की कला का शिक्षण तथा निरंतर अभ्यास मनुष्य जीवन को सुखी, सुखद और सार्थक बनाने का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है| यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारे देश में प्रायः इस कला के शिक्षण और साधना की उपेक्षा की जाती है| इसीलिए हमारे घरों और समाज में होनेवाले तरह-तरह के अनावश्यक विवाद और विग्रह के कारण सुख-शांति की कमी पाई जाती है| इसी कमी को पूरा करने के लिए प्रस्तुत है पुस्तक-‘बातचीत की कला’| निश्चित ही यह पुस्तक युवा पीढ़ी को इस कला का व्यावहारिक ज्ञान देकर उसके निरंतर अभ्यास द्वारा उनका पारिवारिक, सामाजिक एवं व्यावसायिक जीवन सुखी, सुखद और सफल बनाने में सहायक होगी|
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