₹600.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
142 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2014
ISBN
9789352661251
Weight
295 Gram
वंदे मातरम् ऋषि बंकिमचंद्र की अलौकिक काव्य प्रतिभा की अभिव्यक्ति है | वैदिक काल से अर्वाचीन काल तक मातृभूमि के प्रति हमारे मन में बसनेवाले अनन्य प्रेग का अव्यक्त रूप यानी वंदे मातरम्! मातृभूमि के प्रति यह प्रेम शाश्वत है, चिरंतन है | जिस भूमि ने मुझे जन्म दिया, जिसने मेरा पालन-पोषण किया, मुझे समृद्धता दी और अंत में जिस भूमि में मैं मिल जाने वाला हूँ वह भूमि यानी यह हमारी आता, मातृभूमि! उसे हमारा शत-शत प्रणाम! भारतीय संस्कृति में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त मातृपूजन, भूमिपूजन, इस जगन्माता का पूजन इन सबके प्रतीक बने शब्द हैं ' वंदे मातरम् '! मातृभूमि के प्रति यह प्रेम प्रत्येक व्यक्ति के मन में सहज- स्वाभाविक होता है | जैसा अपनी जननी- माता-के प्रति होता है ठीक वैसा ही! वह प्रेम हम प्रत्येक के हृदय में है | उसपर केवल निराशा के पुट चढ़े हैं, जिन्हें दूर हटाना होगा | अंतरतम की तह से ' वंदे मातरम् ' के उच्चारण से उन्हें निश्चय ही दूर किया जा सकता है | वंदे मातरम्!!
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