₹300.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
168 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789380183442
Weight
310 Gram
21 वीं सदी में स्वाध्याय का चाव, पठन-पाठन का गुण दुर्लभ हो चला है| समय परिवर्तन के पंख लगाकर तीव्र गति से उड़ता जा रहा है| पत्रकारिता कब मिशन और स्वयं सेवा (वालंटियर) से विशुद्ध व्यवसाय में परिवर्तित हो गई, पता नहीं चला| आज का पत्रकार सबूत के बगैर एक लाइन नहीं लिख सकता| उसमें साहस का घोर अभाव है| जोखिम उठाने से वह डरता है| जोखिम और साहस के बिना पत्रकारिता व्यर्थ है| आज के अखबार अपराध बुलेटिन बनकर रह गए हैं| अपराध और राजनीति की खबरें अखबार की आय और प्रसार का साधन बन गई हैं| पत्रकारिता की पढ़ाई आज की पत्रकारिता से भी बुरी है| पत्रकारिता में दीक्षित और तकनीकियों से अनभिज्ञ गैर-पेशेवर लोग पत्रकारिता पढ़ा रहे हैं| कवि, लेखक, पत्रकार, उपन्यासकार आदि शिक्षण संस्थानों में ढाले नहीं जा सकते| ये लोग कहीं से भी पत्रकारिता के विशेषज्ञ नहीं हैं| समाज में पत्रकार की स्थिति एक जनप्रतिनिधि और एक न्यायधीश से भी श्रेष्ठ और ऊँची होती है| प्रस्तुत पुस्तक में प्रसिद्ध पत्रकार रमाशंकर शर्मा ने अपने चार दशकों के पत्रकारिता जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को बड़ी बेबाकी से प्रस्तुत किया है| पत्रकार और पत्रकारिता के विद्यार्थी ही नहीं, सामान्य पाठकों के लिए भी एक उपयोगी एवं ज्ञानपरक पुस्तक|
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