₹250.00
MRPGenre
Print Length
104 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789350484395
Weight
170 Gram
शिष्टाचार का जीवन में अहम स्थान है| शिष्टाचार आईने के समान है, जिसमें मनुष्य अपना प्रतिबिंब दरशाता है| शिष्टाचार अच्छे विचारों से आता है| जिस प्रकार कोई दीवार नींव के बिना खड़ी नहीं रह सकती, वैसे ही शिष्टाचार के बिना व्यक्ति का, समाज का और राष्ट्र का निर्माण नहीं हो सकता|शिष्टाचार एक संस्कार है, जिसकी नींव बचपन में ही पड़ जाती है-शिक्षा इसके आड़े नहीं आती| खूब पढ़-लिखकर भी जिस व्यक्ति में शिष्टाचार का अभाव हो, लोग उसे पढ़ा-लिखा मूर्ख ही कहेंगे, और उसे समाज में सम्मान नहीं मिलेगा| शिष्टाचार द्वारा अनजान व्यक्ति भी समाज में सम्मान पाता है, वहीं शिष्टाचार रहित व्यक्ति परिजनों द्वारा भी दुत्कारा जाता है|
शिष्टाचार व्यक्ति को फर्श से अर्श तक पहुँचा सकता है, कठिनतम कार्य को आसान बना सकता है और अँधेरे में भी आशा की किरण दिखा सकता है|प्रस्तुत पुस्तक व्यक्ति को शिष्टाचार युक्त बनाने की दिशा में अग्रसर करती है|
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