₹500.00
MRPGenre
Print Length
336 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
8185826447
Weight
520 Gram
अपनी क्षिप्र गति, नेटवर्किंग क्षमताओं और अन्य अपराजेय गुणों के आधार पर कंप्यूटर मानव-गतिविधि के प्रत्येक क्षेत्र में अपना अपरिहार्य स्थान बना चुका है | आज के पुस्तकालय भी इसके प्रभाव से अछूते नहीं रह पाए हैं | कंप्यूटर का प्रयोग न केवल पुस्तकालय-सेवा के स्तर को ऊँचा उठाता है; बल्कि को पुस्तकालय कर्मचारियों को बारंबारितावाले कार्यों से मुक्ति भी दिलाता है | पुस्तकालयों में कंप्यूटर के प्रवेश एवं प्रयोग से सूचना की बाढ़ को नियंत्रित कर सही पाठक को सही समय, सही सूचना प्रदान करने में सराहनीय सहायता मिली है | अत: आज के पुस्तकालयों के सामने दो ही रास्ते हैं : या तो कंप्यूटर को अपना मित्र बना लें, या पाठकों को अपना वैरी बनाने के लिए तैयार रहे | और, निश्चित रूप में, प्रथम विकल्प ही सही विकल्प है |
पुस्तकालयों में कंप्यूटर के बढ़ते प्रयोग के फलस्वरूप इस विषय के ऊपर अंग्रेजी भाषा में अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं; परंतु हिंदी भाषा में इस विषय के ऊपर कोई लोकप्रिय प्रयास अब तक सामने नहीं आ पाया है | प्रस्तुत पुस्तक इस कमी को दूर करने की दिशा में एक नम्र प्रयास है | आशा है, पुस्तकालयों में कंप्यूटर के प्रयोग से संबंधित विभिन्न पहलुओं के ऊपर सरल हिंदी भाषा में लिखी गई यह पुस्तक पुस्तकालयाध्यक्षों, पुस्तकालय विज्ञान के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों तथा पुस्तकालय- प्रशासकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी |
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