₹700.00
MRPGenre
Other
Print Length
382 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
9789352665129
Weight
580 Gram
प्रस्तुत पुस्तक में भारत के पूर्व विदेश सचिव श्री जे.एन. दीक्षित द्वारा पचास वर्षो की अवधि के विस्तृत फलक पर भारतीय विदेश नीति के विभिन्न चित्र सशक्त तथा प्रभावशाली ढंग से उकेरे गए हैं |
लेखक ने 1947 को भारतीय विदेश नीति का आरंभ काल माना है | इन्होंने बताया है कि पं. जवाहरलाल नेहरू ने भारत की विदेश नीति का मूलाधार रखा तथा इसके बाद उनके उत्तराधिकारियों ने इस दिशा में किस प्रकार से व्यापक और महत्त्वपूर्ण योगदान दिया |
इस महत्त्वपूर्ण आख्यान का वर्णन करते समय लेखक ने कालक्रमानुसार भारत की विदेश नीति के विविध पक्षों को उजागर किया है |
इसके साथ ही उन पक्षों के राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पड़नेवाले प्रभावों का भी विवेचन किया है तथा ऐसी युगांतकारी घटनाओं को शामिल किया है जिनका भारतीय विदेश नीति की प्राथमिकताओं पर प्रभाव पड़ा है |
इसके अतिरिक्त इस पुस्तक में उन घटनाओं के परिणामों तथा प्रतिक्रियाओं का भी विश्लेषण किया गया है | उदाहरण के तौर पर- सन् 1947-48, 1965 तथा 1971 में भारत-पाक युद्ध;
संयुक्त राष्ट्र का संदेहास्पद रवैया तथा कश्मीर का मुद्दा;
1962 में भारत-चीन युद्ध;
1979 में अफगानिस्तान पर सोवियत संघ का कब्जा;
महाशक्तिशाली सोवियत संघ का विघटन;
कश्मीर की समस्या तथा पाकिस्तान की ' परोक्ष युद्ध ' की कार्यनीति;
1991 में खाड़ी युद्ध;
मई 1998 में भारत-पाक द्वारा किए गए परमाणु परीक्षण |
इस पुस्तक में विश्व के विभिन्न देशों-विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, चीन तथा पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करते हुए घटनाओं के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय संबंधों का विशद विवेचन किया गया है |
भारतीय विदेश नीति को आधार बनाकर लिखी गई यह पुस्तक निस्संदेह एक उत्कृष्ट कृति है |
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