हमारी शिक्षण-संस्थाओं का यह कर्तव्य है कि वे छात्रों को, समाज को उन कार्यों के योग्य बनाएँ, जो उनके सामने आने वाले हैं| शिक्षण-संस्थाओं का यह काम है कि वे ऐसा वातावरण पैदा करें, जिसमें गुण विकसित हो और उनके प्रभाव में पलनेवाले व्यक्तियों को आवश्यक योग्यताएँ प्राप्त हों | ...... प्राचीन भारत की स्त्रियों ने बड़ी निपुणता तथा चतुरता के साथ बुद्धि और त्याग के बल पर गृह एवं अनेकानेक सामाजिक कार्यो में भाग लिया और वे समाज के सर्वांगीण विकास में सहायक रहीं| कहने की आवश्यकता नहीं कि वे गणित-शास्त्र, नीति-शास्त्र, धर्म-शास्त्र, अर्थ-शास्त्र, चिकित्सा-शास्त्र, गार्हस्थ्य-शास्त्र आदि सभी विषयों में पारंगत थीं| इन बातों को ध्यान में रखते हुए मैं लड़कियों की शिक्षा को अधिक महत्त्व देता हूँ| उनके लिए इस स्वतंत्रता और स्वच्छंदता का अर्थ यही है कि वे अपना विकास करती हुई मानव-समाज की सर्वांगीण उन्नति में अपनी प्रत्येक शक्ति का उत्तमोत्तम उपयोग करें, जिससे समस्त मानव जाति का कल्याण हो और इसमें वे स्वयं भी सम्मिलित हैं| -इसी पुस्तक से भारतीय शिक्षा में देशरत्न राजेंद्र बाबू के शिक्षा से संबंधित भाषण संकलित हैं- भारत के लिए कैसा शिक्षा-पद्धति होनी चाहिए नारी शिक्षा क्यों अनिवार्य है तथा शिक्षा-व्यवस्था के विभिन्न आयामों को रेखांकित करते ओजपूर्ण विचार| सुधी पाठकों, नीति-निर्माताओं, शिक्षकों, विद्यार्थियों, शिक्षा से संबद्ध अधिकारियों का मार्गदर्शन करेगी यह विचारपूर्ण पुस्तक|
Bharatiya Shiksha (भारतीय शिक्षा)
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300.00
Condition: New
Isbn: 9788173156755
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Other,Educational,
Publishing Date / Year: 2012
No of Pages: 216
Weight: 380 Gram
Total Price: ₹ 300.00
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