₹200.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
260 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
8188267015
Weight
320 Gram
ऐतिहासिक उपन्यास व्यक्ति-संवेदना के घात-प्रतिघातों का चित्रण मात्र नहीं है | ऐसा चित्रण उसका साधन हो सकता हें, साध्य नहीं | कौन चरित्र कितना दुर्बल था, कितना सबल था, कितना अच्छा था, कितना बुरा था-ये प्रश्न बहुत पीछे छूट जाते हैं | रह जाता है केवल एक प्रश्न- कि अतीत के कंपनों में कहीं कोई कंपन क्या ऐसा भी था, जिसकी लहरें आज भी धरती की किसी परत में छिपी पड़ी हों? क्या हम उन पात्रों को अपने उद्भाव के अनुरूप जीवित करके, उनके पारस्परिक व्यवहार के बीच से गुजरकर उन्हें छू सकते हैं और प्रभावहीन बना सकते हैं? ऐसा करने के लिए व्यक्ति-संवेदना का अध्येता होने के साथ-साथ ऐतिहासिक उपन्यासकार को समूह संवेदनाओं का अध्येता होने की भी आवश्यकता है | ' ताँबे के पैसे ' एक ऐसा ही प्रयत्न है | उपमान के रूप में ' ताँबे के पैसे '-जो भौतिक दृष्टि से विजयनगर के विनाश के उत्तरदायी थे-कितने ही वर्तमान उपमेयों की सृष्टि करते हैं | उपन्यासकार की दृष्टि से, एक बार चार सौ वर्ष पहले के उन ' ताँबे के पैसों ' की घातक चोट को फिर से कल्पना में सहा जा सकता है, और इतने प्यारे-प्यारे पात्रों के दुःखद अंत में उत्पन्न जल की उस हलकी सी परत से पलकें नम की जा सकती हैं, जो आँखों की कौड़ियों पर बरबस ही उभर आती है |
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