कितने मोरचे’ पं. विद्यानिवास मिश्र के चौंतीस निबंधों का संकलन है, जो पिछले दशक में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए| अपनी अनूठी शैली में मिश्रजी ने इन निबंधों में पाठक को समाज और संस्कृति के अनेक प्रश्नों से रूबरू कराया है| देश, काल, परंपरा और भारतीय मानस के प्रति सहज, पर पैनी दृष्टि रखते हुए ये निबंध आत्मनिरीक्षण के लिए प्रेरित करते हैं| इन निबंधों की आधारभूमि हमारे जीवन को ओत-प्रोत करती संस्कृति की स्रोतस्विनी है, जो उन साधारण मनुष्यों की आशाओं, आकांक्षाओं और संघर्षों को सजीव करती है, जो आभिजात्य या ‘एलीट’ दृष्टि से प्राय: अलक्षित रह जाते हैं| पाठकों को झकझोरते ये निबंध तमाम प्रश्नों को छेड़ते हैं और उनका समाधान भी प्रस्तुत करते हैं| संस्कृति में रचे-पगे पंडितजी के चिंतन में पाठकों को अपने मन की गूँज मिलेगी, भूली-बिसरी स्मृति मिलेगी और जिजीविषा-दुर्दमनीय जिजीविषा-के स्रोत मिलेंगे| व्यथा, पीड़ा और वेदना हर कहीं है और आदमी उनसे जूझ रहा है| इन निबंधों में आपको यह सब भी जरूर मिलेगा| अपने आपको पहचानने के व्याज बने ये निबंध पठनीय तो हैं ही, चिंतनीय और मननीय भी हैं|
Kitne Morche (कितने मोर्चे)
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₹
250.00
Condition: New
Isbn: 8188140716
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,
Publishing Date / Year: 2013
No of Pages: 208
Weight: 370 Gram
Total Price: ₹ 250.00
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