₹150.00
MRPGenre
Other
Print Length
163 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2010
ISBN
9789380823768
Weight
310 Gram
‘कल करे सो आज कर, आज करे सो अब!’ यह उक्ति दूसरी अन्य चीजों की अपेक्षा जीवन के लिए आर्थिक नियोजन के संबंध में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है| मूलतः नियोजन शब्द का अर्थ है-कल के उज्ज्वल भविष्य के लिए किए जानेवाले आज के यत्न! स्वाभाविक है-सेवानिवृत्ति के बाद जरूरी खर्चों का प्रावधान उन्हीं दिनों में करना चाहिए, जब हम कमाते हैं| ऐसे विचार यह कृति ‘युवावस्था में ही रिटायरमेंट प्लानिंग’ पढ़ते समय सरल, आसान और तर्कसंगत लगते हैं-वैसे हैं भी!समस्या केवल यही है कि हम लोग यह विचार प्रत्यक्ष व्यवहार में नहीं लाते! यौवनकाल में जीवन का आनंद लूटना, कमाई के आरंभिक दिनों में उत्सव मनाना, इसमें गलत क्या है? लेकिन जीवन की शुरुआत में हमें स्वयं को शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक रूप से कार्यक्षम बनाने में 15-20 वर्ष खर्च करने पड़ते हैं| बीस वर्ष प्राप्त होते ही कमाई आरंभ कर, निवृत्त होने के समय तक अपनी आय में लगातार वृद्धि करना, वृद्धि में सातत्य रखने के लिए कला-कौशल्य में खुद को अद्यतन रखना जरूरी होता है, यह बात हम भूल जाते हैं|रिटायरमेंट के बाद के जीवन की आर्थिक प्लानिंग बताती एक अत्यंत प्रैक्टिकल पुस्तक|
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